एक कश्मीरी हिन्दू लड़की के पीड़ा भरे भाव-आवाज़ दे मुझे

मैं कौन हूँ?  मेरा अस्तित्व क्या है?

नौजवान हूँ , कहीं गुम हूँ

पैदा करने वाला ‘कश्मीरी’ कहता है

मैं तब भी

उन वादियों में अपनी साँसों की तलाश में हूँ..

खोया हुआ अस्तित्व

मैं ख्यालों में ही कश्मीर से हूँ

वो चार चिनार कितना बड़ा है मुझसे

जिसे देखने पूरी दुनिया आती है

और मैं? मैं, अब तक असमंजस में हूँ..

 

वो राग वो साज़ मेरे मन में क्यों नहीं?

वो नादिम, वो राही के ख्याल नहीं

कहाँ हूँ मैं? क्यों मेरी कहीं आवाज़ नहीं?

 

ए कश्मीर! क्या तेरी गोद में कोई जगह नहीं?

मैं जन्मी नही वहां

तो, क्या मेरा वहां कोई वजूद नही?

 

आवाज़ दे मुझे, मैं खो गयी हूँ

स्वप्न दे मुझे, मैं सो गयी हूँ

तेरी फ़िक्र है, तुझ पर फक्र है

तू आवाज़ दे मुझे, तू अस्तित्व दे मुझे..

सुरभि सप्रू

सुरभि सप्रू को ट्विटर पर @SurbhiSapru पर फॉलो करें।

 

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