Gavyamrut Ashok Ghrit
यह घृत रक्त-सफेद, नीले-पीले रंग के प्रदर रोग, कुक्षि का दर्द, कमर और योनि की पीड़ा, मन्दाग्नि, अरूचि, पाण्डु, दुबलापन, श्वास, कामला आदि स्त्रियों के रोगों का नाश करता है। यह बल और शरीर को कान्ति को भी बढ़ाताहै। यह घृत स्त्रियों के लिए अमृत के समान लाभदायक है। प्रदर रोग में विशेषतया पित्त और वायु के दोष पाये जाते हैं यथा- हाथ पांव में जलन होना, आँखों के सामने चिन्गारियां उड़ना, अन्न नही पचना, भूख न लगना, कमर में दर्दऔर सिर में दर्द होना, आलस्य आदि। इसमें अशोक घृत के उपयोग से बहुत शीघ्रा लाभ होता है, क्योंकि यह प्रकुपित वायु तथा पित्त का शमन कर उसके विकारों को दूर करता है और पाचक पित्त को उत्तेजित करके हाजमाठीक करता है, फिर भूख भी लगती है और खाना हजम होने लगता है। धीरे-धीरे शरीर पुष्ट होकर रोगिणी स्वस्थ हो जाती है।